Samaj-Desh aur Duniya mein Mahilaon aur Yuvaon ki bhumika aur Mahatva
समाज देश और दुनिया में महिलाओं और युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका
समाज देश और दुनिया में महिलाओं और युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है ।चाहे वो शांति बनाए रखने की बात हो या संस्कृति को बचाए रखने की बात हो । आंकड़े बताते हैं कि महिलाएं और युवा वैश्विक आबादी के बहुमत का प्रतिनिधित्व करते हैं ।समय के साथ लोगों के विचारों में परिवर्तन लाने और संस्थाएं कैसे बेहतर काम करें…इस दिशा में महिलाएं और युवा अपना योगदान दे सकते हैं ।
लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण को मजबूती प्रदान करके ही हम हिंसा , आक्रामकता , युद्ध और नकारात्मकता जैसी स्थितियों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं और मानवता को बचा सकते हैं । बहुत तेज़ी से हम आगे बढ़ रहे हैं, तकनीक ने पूरी दुनिया को एक कमरे में समेट दिया है लेकिन हम अपनी परंपरा और संस्कृति को भूलते जा रहे हैं । आज मनुष्य से उसकी मनुष्यता खत्म होती दिख रही है । हम देखते हैं कि छोटी-छोटी बात पर मनुष्य का आपस में झगड़ा हो जाता है और फिर कभी कभी हिंसा और युद्ध में बदल जाता है । हमें इससे बचने का प्रयास करना चाहिए और मानवता का आह्वान करना चाहिए । मानवता बची रहेगी तो सब कुछ बचा रहेगा ।
हमें ये समझना चाहिए कि पूरी
दुनिया में सिर्फ़ एक ही पृथ्वी है और पूरी दुनिया के हम सब मनुष्य इस पृथ्वी का हिस्सा हैं । विकास की प्रक्रिया में, निरन्तर आगे बढ़ने में युद्ध की नौबत न आये और शांति बनी रहे … ज़रूरी है कि हम अपने होने में मानवता का परिचय दें । इस सबके लिए शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका है । महिलाओं और युवाओं में शिक्षा का प्रसार करना होगा । शिक्षा के माध्यम से हम प्रत्येक बच्चे के व्यक्तित्व का, उसके क्षितिज का विस्तार करते हैं । शिक्षा के माध्यम से ही नेता मानवता के लिए आगे बढ़ कर समर्पण से कार्य करते हैं । शिक्षा के माध्यम से हम शांति की एक सच्ची और स्थायी संस्कृति की स्थापना करते हैं ।
बच्चे की पहली शिक्षिका मां होती है और फिर दादी नानी व परिवार के दूसरे सदस्य … और वे बच्चों में बचपन से ही युद्ध के बजाय शांति के महत्व को समझने के संस्कार दे सकती हैं । जैसा कि जान एडम्स ने कहा – ‘शांति केवल युद्ध की अनुपस्थिति नहीं है । यह मानव जीवन का पोषण है और समय पर यह पोषण प्राकृतिक प्रक्रिया के रूप में युद्ध के साथ खत्म हो जाएगा ।’
शांति की संस्कृति को प्राप्त करने में महिलाओं की भूमिका की पुष्टि संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गयी है ।
लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण के लिए एक कार्यकर्ता के रूप में ‘ साक्षी ‘ समाज के विभिन्न महिला समुदायों में शांति और संवाद को मजबूत करने के लिए , सशक्त करने के लिए महिलाओं की क्षमताओं को बढ़ावा देने कार्य प्रयास करती हैं । उन्हें शांति मिले , सुरक्षा मिले , निर्णय लेने की उनकी क्षमता बढ़े … इसके लिए ही स्तर पर हम कार्य करते हैं ।हम भारत में सामाजिक राजनीतिक प्रक्रिया के माध्यम से महिला सशक्तिकरण के लिए कार्य करते हैं जैसे महिला पंचायत और स्वयं सहायता समूह के गठन कार्य समर्थन करते हैं । जिसमें स्थानीय महिला नेता स्थानीय और घरेलू संघर्षों को, इससे पहले कि वो हिंसा में तब्दील हो , उनमें मध्यस्थता करती हैं और उन्हें सुलझाती हैं, हल अच्छी हैं । ‘ साक्षी ‘ की कार्यकर्ताएं महिलाओं को , स्थानीय पुलिस से कैसे संवाद करें, उन्हें चिकित्सा और कानूनी प्रक्रियाओं की जानकारी, सरकारी योजनाओं की जानकारी तथा स्थानीय शांति निर्माण प्रयासों में शामिल होने के बारे में बताती हैं, जागरूक करती हैं ।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में दिल्ली सरकार की 181 हेल्पलाइन सेवा के साथ भी हम काम कर रहे हैं … जहां यौन शोषण, महिलाओं पर अत्याचार, उनके साथ असमानता तथा भेदभाव जैसे मामले आते हैं । सशक्तिकरण का मतलब है कि बच्चा पैदा करने के समय से लेकर और बाद तक उसके स्वास्थ्य की उचित देखभाल हो, न्यायिक मामलों में न्याय के लिए उसकी पहुंच हो, उसकी आजीविका कैसे चले उसके लिए उसकी सहायता हो , उसका मनोवैज्ञानिक परामर्श हो जब ज़रूरत पड़े, और जो सुविधाएं हैं उन तक उनकी पहुंच हो ।
लड़कियों को शिक्षित करने के आर्थिक लाभ लड़कों को शिक्षित करने के समान हैं । हाल के निष्कर्ष बताते हैं कि सामाजिक लाभ अधिक हैं । महिलाओं के अंदर अपनी आर्थिक स्थिति बदलने की क्षमता है , अपने समुदायों और अपने देशों के भीतर जहां वे रहती है । हालांकि अब भी महिलाओं के आर्थिक योगदान को पहचाना नहीं गया है , उनके काम की उपयोगिता की अनदेखी की गयी है और उनके अंदर जो काबिलियत है उसे पोषित नहीं किया गया । महिलाओं और पुरुषों के बीच असमान अवसरों ने महिलाओं को गरीबी से उठने और अपने जीवन को सुधारने के लिए बेहतर विकल्प सुरक्षित करने की उनकी क्षमता को रोका है ।
समाज में महिलाओं की स्थिति बदलने के लिए शिक्षा सबसे सशक्त माध्यम है । गरीबी कम करने के लिए लड़कियों और महिलाओं में शिक्षा का निवेश सबसे प्रभावी उपाय है । शिक्षा के माध्यम से महिलाएं अपने ज्ञान और कौशल को बढ़ा कर विकास प्रक्रिया में और नागरिक समाज में अपना योगदान दे सकती हैं । शिक्षा सभी के लिए महत्वपूर्ण है लेकिन यह लड़कियों और महिलाओं के लिए सशक्तिकरण का एक महत्वपूर्ण बिंदु है…जरिया है । शिक्षा उनके लिए किसी अवसर विशेष के लिए नहीं है बल्कि यदि एक महिला शिक्षित होती है तो उसका असर पूरे परिवार और पीढ़ियों तक दिखायी देता है । शिक्षित होने का मतलब सिर्फ पढ़ना और लिखना ही नहीं है । यह एक आवश्यक निवेश है जिसे देश अपने भविष्य के लिए करते हैं और यह गरीबी कम करने और टिकाऊ विकास को प्राप्त करने का महत्वपूर्ण कारक बनती है ।
लड़कियों की शिक्षा न केवल उस लड़की को परिवारों , समुदायों और अर्थव्यवस्थाओं को मजबूती प्रदान करती है और उसकी शिक्षा से हम सभी लाभान्वित होते हैं ।
शिक्षा आवाज़हीन के लिए आवाज़ बनती है, जीवन के प्रति सम्मान पैदा करती है और उसके परिणाम स्वरूप जो गैर हिंसात्मक वह शांति और मानवता के लिए मूल्य मिलते हैं वो किसी भी पड़ोस के कल्याण के लिए महत्वपूर्ण हैं ।
भारत में हम एक अनोखी सांस्कृतिक एकता के अग्रणी उदाहरण हैं । गंगा – जमुनी तहजीब जहां सदियों से विभिन्न धर्मों और जातीय समूहों ने एक-दूसरे के लिए सम्मान और सहिष्णुता के साथ , शांति और सद्भाव के साथ रहने का एक तरीका तैयार किया है ।
हमें ये समझने की ज़रूरत है कि हमारे पास एक पृथ्वी है और उसे हम अपनी पूरी मानवता के साथ साझा करें । इसलिए समाज,देश और पूछे विश्व में युद्ध की संस्कृति के खिलाफ हम उठ खड़े हों और उसके लिए मानवता का आह्वान करें और मानवता एक आवाज़ बनकर खड़ी हो, रास्ता दिखाये और हम मिलजुल कर उसे ।
समाज देश और दुनिया में महिलाओं और युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है ।चाहे वो शांति बनाए रखने की बात हो या संस्कृति को बचाए रखने की बात हो । आंकड़े बताते हैं कि महिलाएं और युवा वैश्विक आबादी के बहुमत का प्रतिनिधित्व करते हैं ।समय के साथ लोगों के विचारों में परिवर्तन लाने और संस्थाएं कैसे बेहतर काम करें…इस दिशा में महिलाएं और युवा अपना योगदान दे सकते हैं ।
लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण को मजबूती प्रदान करके ही हम हिंसा , आक्रामकता , युद्ध और नकारात्मकता जैसी स्थितियों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं और मानवता को बचा सकते हैं । बहुत तेज़ी से हम आगे बढ़ रहे हैं, तकनीक ने पूरी दुनिया को एक कमरे में समेट दिया है लेकिन हम अपनी परंपरा और संस्कृति को भूलते जा रहे हैं । आज मनुष्य से उसकी मनुष्यता खत्म होती दिख रही है । हम देखते हैं कि छोटी-छोटी बात पर मनुष्य का आपस में झगड़ा हो जाता है और कभी कभी तो हिंसा और युद्ध में बदल जाता है । हमें इससे बचने का प्रयास करना चाहिए और मानवता का आह्वान करना चाहिए । मानवता बची रहेगी तो सब कुछ बचा रहेगा ।
हमें ये समझना चाहिए कि पूरी दुनिया में सिर्फ़ एक ही पृथ्वी है और पूरी दुनिया के हम सब मनुष्य इस पृथ्वी का हिस्सा हैं । विकास की प्रक्रिया में, निरन्तर आगे बढ़ने में युद्ध की नौबत न आये और शांति बनी रहे … ज़रूरी है कि हम अपने होने में मानवता का परिचय दें । इस सबके लिए शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका है । महिलाओं और युवाओं में शिक्षा का प्रसार करना होगा । शिक्षा के माध्यम से हम प्रत्येक बच्चे के व्यक्तित्व का, उसके क्षितिज का विस्तार करते हैं । शिक्षा के माध्यम से ही नेता मानवता के लिए आगे बढ़ कर समर्पण से कार्य करते हैं । शिक्षा के माध्यम से हम शांति की एक सच्ची और स्थायी संस्कृति की स्थापना करते हैं ।
बच्चे की पहली शिक्षिका मां होती है और फिर दादी नानी व परिवार के दूसरे सदस्य … और वे बच्चों में बचपन से ही युद्ध के बजाय शांति के महत्व को समझने के संस्कार दे सकती हैं । जैसा कि जान एडम्स ने कहा – ‘शांति केवल युद्ध की अनुपस्थिति नहीं है । यह मानव जीवन का पोषण है और समय पर यह पोषण प्राकृतिक प्रक्रिया के रूप में युद्ध के साथ खत्म हो जाएगा ।’
शांति की संस्कृति को प्राप्त करने में महिलाओं की भूमिका की पुष्टि संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गयी है ।
लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण के लिए एक कार्यकर्ता के रूप में ‘ साक्षी ‘ समाज के विभिन्न महिला समुदायों में शांति और संवाद को मजबूत करने के लिए , सशक्त करने के लिए महिलाओं की क्षमताओं को बढ़ावा देने का प्रयास करती हैं । उन्हें शांति मिले , सुरक्षा मिले , निर्णय लेने की उनकी क्षमता बढ़े … इसके लिए हर स्तर पर हम कार्य करते हैं ।हम भारत में सामाजिक राजनीतिक प्रक्रिया के माध्यम से महिला सशक्तिकरण के लिए कार्य करते हैं जैसे महिला पंचायत और स्वयं सहायता समूह के गठन का समर्थन करते हैं । जिसमें स्थानीय महिला नेता स्थानीय और घरेलू संघर्षों को, इससे पहले कि वो हिंसा में तब्दील हो , उनमें मध्यस्थता करती हैं और उन्हें सुलझाती हैं, हल करती हैं । ‘ साक्षी ‘ की कार्यकर्ताएं महिलाओं को , स्थानीय पुलिस से कैसे संवाद करें, उन्हें चिकित्सा और कानूनी प्रक्रियाओं की जानकारी, सरकारी योजनाओं की जानकारी तथा स्थानीय शांति निर्माण प्रयासों में शामिल होने के बारे में बताती हैं, जागरूक करती हैं ।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में दिल्ली सरकार की 181 हेल्पलाइन सेवा के साथ भी हम काम कर रहे हैं … जहां यौन शोषण, महिलाओं पर अत्याचार, उनके साथ असमानता तथा भेदभाव जैसे मामले आते हैं । सशक्तिकरण का मतलब है कि बच्चा पैदा करने के समय से लेकर और बाद तक उसके स्वास्थ्य की उचित देखभाल हो, न्यायिक मामलों में न्याय के लिए उसकी पहुंच हो, उसकी आजीविका कैसे चले उसके लिए उसकी सहायता हो , उसका मनोवैज्ञानिक परामर्श हो जब ज़रूरत पड़े, और जो सुविधाएं हैं उन तक उनकी पहुंच हो ।
लड़कियों को शिक्षित करने के आर्थिक लाभ लड़कों को शिक्षित करने के समान हैं । हाल के निष्कर्ष बताते हैं कि सामाजिक लाभ अधिक हैं । महिलाओं के अंदर अपनी आर्थिक स्थिति बदलने की क्षमता है , अपने समुदायों और अपने देशों के भीतर जहां वे रहती है । हालांकि अब भी महिलाओं के आर्थिक योगदान को पहचाना नहीं गया है , उनके काम की उपयोगिता की अनदेखी की गयी है और उनके अंदर जो काबिलियत है उसे पोषित नहीं किया गया । महिलाओं और पुरुषों के बीच असमान अवसरों ने महिलाओं को गरीबी से उठने और अपने जीवन को सुधारने के लिए बेहतर विकल्प सुरक्षित करने की उनकी क्षमता को रोका है ।
समाज में महिलाओं की स्थिति बदलने के लिए शिक्षा सबसे सशक्त माध्यम है । गरीबी कम करने के लिए लड़कियों और महिलाओं में शिक्षा का निवेश सबसे प्रभावी उपाय है । शिक्षा के माध्यम से महिलाएं अपने ज्ञान और कौशल को बढ़ा कर विकास प्रक्रिया में और नागरिक समाज में अपना योगदान दे सकती हैं । शिक्षा सभी के लिए महत्वपूर्ण है लेकिन यह लड़कियों और महिलाओं के लिए सशक्तिकरण का एक महत्वपूर्ण बिंदु है…जरिया है । शिक्षा उनके लिए किसी अवसर विशेष के लिए नहीं है बल्कि यदि एक महिला शिक्षित होती है तो उसका असर पूरे परिवार और पीढ़ियों तक दिखायी देता है । शिक्षित होने का मतलब सिर्फ पढ़ना और लिखना ही नहीं है । यह एक आवश्यक निवेश है जिसे देश अपने भविष्य के लिए करते हैं और यह गरीबी कम करने और टिकाऊ विकास को प्राप्त करने का महत्वपूर्ण कारक बनती है ।
लड़कियों की शिक्षा न केवल उस लड़की को बल्कि परिवारों , समुदायों और अर्थव्यवस्थाओं को मजबूती प्रदान करती है और उसकी शिक्षा से हम सभी लाभान्वित होते हैं ।
शिक्षा आवाज़हीन के लिए आवाज़ बनती है, जीवन के प्रति सम्मान पैदा करती है और उसके परिणाम स्वरूप जो गैर हिंसात्मक व शांति और मानवता के लिए मूल्य मिलते हैं वो किसी भी पड़ोस के कल्याण के लिए महत्वपूर्ण हैं ।
भारत में हम एक अनोखी सांस्कृतिक एकता के अग्रणी उदाहरण हैं । गंगा – जमुनी तहजीब जहां सदियों से विभिन्न धर्मों और जातीय समूहों ने एक-दूसरे के लिए सम्मान और सहिष्णुता के साथ , शांति और सद्भाव के साथ रहने का एक तरीका तैयार किया है ।
हमें ये समझने की ज़रूरत है कि हमारे पास एक पृथ्वी है और उसे हम अपनी पूरी मानवता के साथ साझा करें । इसलिए समाज,देश और पूरे विश्व में युद्ध की संस्कृति के खिलाफ हम उठ खड़े हों और उसके लिए मानवता का आह्वान करें और मानवता एक आवाज़ बनकर खड़ी हो, रास्ता दिखाये और हम मिलजुल कर रहें ।