Mridula Tandon

Pandit Makhanlal Chaturvedi (4 April 1889 – 30 January 1968)

किसान-कवि, लेखक और निर्भीक पत्रकार पंडित माखनलाल चतुर्वेदी राजद्रोह में जेल गए, CM पद ठुकराया और सम्मान लौटाया शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो, जिसने स्कूली शिक्षा के दौरान या फिर साहित्य-अध्ययन के दौरान ‘पुष्प की अभिलाषा’ कविता न पढ़ी हो. चाह नहीं मैं सुरबाला के, गहनों में गूंथा जाऊं, चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध, प्यारी को ललचाऊं चाह नहीं सम्राटों के शव पर, हे हरि डाला जाऊं चाह नहीं देवों के सिर पर, चढूं भाग्य पर इठलाऊं मुझे तोड़…

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KHALIL DHANTEJVI 12 Dec 1938 – 4 April 2021

KHALIL DHANTEJVI This Ghazal was sung by the Famous Ghazal Singer Jagjit Singh which led to International recognition for the writer Ab mai.n raashan kii kataaro.n me.n nazar aataa huu.N , apne kheto.n se bichha.Dane kii sazaa paataa huu.N, itnii meha.Ngaa_ii ke baazaar se kuchh laataa huu.N, apne bachcho.n me.n use baa.NT ke sharmaataa huu.N , apnii nii.ndo.n kii lahuu po.Nchne kii koshish me.n, jaagte jaagte thak jaataa huu.N so jaataa huu.N , ko-ii chaadar samajh ke khii.Nch na le…

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NIRMAL VERMA – Hindi Writer, Novelist & Activist

साहित्यकार निर्मल वर्मा (Nirmal Verma) को पढ़ना ऐसे है मानो आपने उन्हें अपनी उंगली थमा दी है, जिसे पकड़कर वह आपको संवेदनाओं की सुदूर, गहराती दुनिया में लिए चले जा रहे हैं. न तो उंगली छुड़ा पाना आसान, न भाग कर लौट पाना. लेकिन कौन तो मूरख होगा जो निर्मल की लेखनी के दर्द और सुख के खूबसूरत मायाजाल से बाहर निकलना चाहेगा, उंगली झटककर लौटना चाहेगा! आज उनकी बात इसलिए क्योंकि आज 3 अप्रैल को उनका जन्मदिन है. निर्मल…

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HOLI

Holi, the wonderful festival of colours,  is celebrated on the full moon day in the month of Phalgun. It is also called the Spring Festival, as it marks the arrival of spring The festival of Holi formally brings the curtains down on winter. It is the time when spring or ‘vasant’, as it is called in India, is at its best. Holi ushers in new life, colourful flowers and cheer. This year amid the pandemic Holi celebrations are most likely…

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Firaq Gorakhpuri

Raghupati Sahay – better known under his pen name Firaq Gorakhpuri – was born on 28 August 1896 and he died on 3 March 1982. He is known to have fought to save the idea of secular India, most of his life. He is counted amongst the most influential poets who laid the foundation for the modern Urdu ghazal. He established himself among peers including famous Urdu poets like Allama Iqbal, Yagana Changezi, Jigar Moradabadi, Josh Malihabadi, Faiz Ahmed Faiz,…

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नीलेश रघुवंशी

नीलेश रघुवंशी= भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार से सम्मानित, नवें दशक की महत्त्वपूर्ण कवयित्री। ‘एक क़स्बे के नोट्स’ शीर्षक उपन्यास के लिए उल्लेखनीय। “बुढ़ापे में पिता” पिता पर बुढ़ापा अच्छा नहीं लगता हर किसी के आगे हाथ जोड़ देना अरे साहब, अरे साहब कहकर बातें करना जिससे अच्छे से बात करना चाहिए, झिड़कना उसे खामखाँ बेमतलब के आदमी से घंटों बातें करना खाँसते हुए ज़िद पर अड़ेंगे, हर एक काम ख़ुद करेंगे वश का नहीं जो उनके, करेंगे उसे ही सबसे पहले…

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Amrita Pritam

Amrita Pritam is one of the best known Punjabi authors and poets was a writer, a mystic, a poet, a rebel and a human being par excellence. She wrote about love, hope, separation, feminism, partition and struggles of women . She could be a synonym for ‘Freedom’. She lived life on her own terms but without being a confrontationist. She was honoured with some of the highest awards in the country including the Sahitya Akademi, Bharatiya Jnanpith, and Padma Vibhushan.…

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होली HOLI

होली का त्यौहार आता है तो फ़िज़ाओं में गुलाल और अबीर के साथ प्रेम का रंग भी घुल जाता है और जहाँ प्रेम की बात हो वहाँ शेर-ओ-शायरी का होनी भी लाजमी है। पढ़ें कुछ ऐसे ही मुहब्बत भरे शेर जो इस त्यौहार के लिए ख़ास कहे गए हैं। मौसम-ए-होली है दिन आए हैं रंग और राग के हमसे तुम कुछ मांगने आओ बहाने फाग के – मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी मुंह पर नकाब-ए-ज़र्द हर इक ज़ुल्फ पर गुलाल होली की…

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अजंता देव AJANTA DEV

सरलता से गहरी बात कहने का हुनर अजंता देव की कविताओं में खूब देखने को मिलता है. इनकी लगभग हर कविता बहुत शानदार है. इनकी भाषा भी उतना ही प्रभावित करती हैं जितनी कविता. पढ़िए ‘ग़ज़ल के रंग में’ मुमकिन हुई चर्चित कवयित्री अजंता देव की शानदार, जानदार कविता रात अंधेरी तारे गुम इस पल सबसे प्यारे तुम जितना हमसे दूर हुए उतने हुए हमारे तुम घास फूल चिड़िया आकाश सबमें नदी किनारे तुम अनजाने में जीत गए जान-बूझकर हारे तुम मंदिर…

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