होली का त्यौहार आता है तो फ़िज़ाओं में गुलाल और अबीर के साथ प्रेम का रंग भी घुल जाता है और जहाँ प्रेम की बात हो वहाँ शेर-ओ-शायरी का होनी भी लाजमी है। पढ़ें कुछ ऐसे ही मुहब्बत भरे शेर जो इस त्यौहार के लिए ख़ास कहे गए हैं।
मौसम-ए-होली है दिन आए हैं रंग और राग के
हमसे तुम कुछ मांगने आओ बहाने फाग के
– मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
मुंह पर नकाब-ए-ज़र्द हर इक ज़ुल्फ पर गुलाल
होली की शाम ही तो सहर है बसंत की
– माधव राम जौहर
मुहय्या सब है अब अस्बाब-ए-होली
उठो यारों भरो रंगों से झोली
– शैख़ हातिम
जब फागुन रंग झमकते हों तब देख बहारें होली की
और दफ़ के शोर खड़कते हों तब देख बहारें होली की
– नज़ीर अकबराबादी
बाज़ार, गली और कूचों में ग़ुल शोर मचाया होली ने
दिल शाद किया और मोह लिया ये जौबन पाया होली ने
– नज़ीर अकबराबादी
फ़स्ल-ए-बहार आई है होली के रूप में
सोलह सिंगार लाई है होली के रूप में
– साग़र निज़ामी
कहीं पड़े न मोहब्बत की मार होली में
अदा से प्रेम करो दिल से प्यार होली में
– नज़ीर बनारसी
अज़ कबीर-ओ-रंग-ए-केसर और गुलाल
अब्र छाया है सफ़ेद-ओ-ज़र्द-ओ-लाल
– फ़ाएज़ देहलवी
ले के आई है अजब मस्त अदाएँ होली
मुल्क में आज नए रुख़ से दिखाएँ होली
– कँवल डिबाइवी
गले मुझ को लगा लो ऐ मिरे दिलदार होली में
बुझे दिल की लगी भी तो ऐ मेरे यार होली में
– भारतेंदु हरिश्चंद्र
हम से नज़र मिलाइए होली का रोज़ है
तीर-ए-नज़र चलाइए होली का रोज़ है
– जूलियस नहीफ़ देहलवी
कहीं अबीर की ख़ुश्बू कहीं गुलाल का रंग
कहीं पे शर्म से सिमटे हुए जमाल का रंग
– अज़हर इक़बाल
चले भी आओ भुला कर सभी गिले-शिकवे
बरसना चाहिए होली के दिन विसाल का
– अज़हर इक़बाल
माथे पे हुस्न-ख़ेज़ है जल्वा गुलाल का
बिंदी से औज पर है सितारा जमाल का
– उफ़ुक़ लखनवी
अगर आज भी बोली-ठोली न होगी
तो होली ठिकाने की होली न होगी
– नज़ीर बनारसी
बड़ी गालियाँ देगा फागुन का मौसम
अगर आज ठट्ठा ठिठोली न होगी
– नज़ीर बनारसी
है होली का दिन कम से कम दोपहर तक
किसी के ठिकाने की बोली न होगी
– नज़ीर बनारसी
पूरा करेंगे होली में क्या वादा-ए-विसाल
जिन को अभी बसंत की ऐ दिल ख़बर नहीं
– नादिर लखनवी
बहार आई कि दिन होली के आए
गुलों में रंग खेला जा रहा है
– जलील मानिकपूरी
सजनी की आँखों में छुप कर जब झाँका
बिन होली खेले ही साजन भीग गया
– मुसव्विर सब्ज़वारी