Colonel Narendra Kumar, PVSM, KC, AVSM, FRGS (8 December 1933 – 31 December 2020) Indian soldier & mountaineer.

Ace mountaineer Colonel (Rt.) Narendra ‘Bull’ Kumar led the first Indian team to climb Nanda Devi and helped India secure the Siachen Glacier. This was one among the many exploits in an illustrious and impactful career in adventure spanning more than six decades. Lt. Col Narendra Kumar was the fourth principal of the prestigious Himalayan Mountaineering Institute (HMI) in Darjeeling, later Principal of the Indian Institute of Skiing and Mountaineering (IISM), Gulmarg, and subsequently Commandant of the High Altitude Warfare School (HAWS).

Awards –

Indian Army Honours – the Kirti Chakra, Vishisht Seva Medal (VSM) and Ati Vishisht Seva Medal (AVSM)

Civilian Honours – Padma Shri,  Arjuna Award for the Indian success on Everest in 1965.

In 2010 he won the MacGregor Medal awarded by the United Services Institution of India for the best military reconnaissance, exploration or survey in remote areas. He also received the Indian Mountaineering Foundation Gold Medal.

एक वीरपुत्र बैल की कहानी ….!!!!

वर्ष था 1950… भारत को आजाद हुए कुछ ही वक्त बीता था। देहरादून का इंडियन मिलिट्री ऐकेडमी के ज्वाइंट सर्विसेज विंग में सेना, एयरफोर्स और नेवी के कैडेट्स की साझा ट्रेनिंग चल रही थी (क्योंकि उस वक्त तक खडगवासला में नेशनल डिफेंस ऐकेडमी पूरी तरह से बनकर तैयार नही हुई थी।)

एक सत्रह साल के कैडेट को बाॅक्सिंग रिंग में अपने सीनियर बैच के कैडेट का मुकाबला करना था। वो सीनियर कैडेट बड़ा ही ब्रिलियेंट और बेहतरीन बाॅक्सर था।
वो सीनियर बैच का कैडेट था भविष्य का भारतीय सेना का सेनाध्यक्ष जनरल S.F. राॅड्रिग्स जिस का बाॅक्सिंग रिंग में दबदबा रहता था।

उसके सामने था सत्रह साल का जूनियर कैडेट नरेन्द्र कुमार शर्मा। पाकिस्तान के रावलपिंडी मे पैदा हुआ वो लडका, जिसका परिवार देश के विभाजन के समय भागकर भारत आया था। घमासान बाॅक्सिंग मैच हुआ और भविष्य के सेनाध्यक्ष ने जूनियर कैडेट नरेन्द्र कुमार शर्मा का भूत बनाकर रख दिया।

वो जूनियर लडका बुरी तरह पिटा, मगर पीछे नहीं हटा। बार बार पलटकर आता, मारता और मार भी खाता मगर पीछे हटने को तैयार ना होता। अंतत: कैडेट S.F. राॅड्रिग्स ने वो मुकाबला जीत लिया। जूनियर कैडेट बुरी तरह पिटकर हारा जरूर मगर उसी बाॅक्सिंग मैच में मैच देखने वाले कैडेट्स ने उसको एक निकनेम दे दिया। जो जीवन भर उसके नाम से चिपका रहा। वो निकनेम था BULL यानि बैल ……

वो बैल मात्र तीन दिन पहले दिल्ली के धौलाकुंआ स्थित आर्मी के R.R. हाॅस्पिटल में अपनी जिंदगी का आखिरी मुकाबला, मौत से हार गया।
देश का एक हीरो चुपचाप दुनिया से चला गया Unknown and unsung ….बहुत कम लोगों को ये मालूम है नरेन्द्र कुमार “बुल” आखिर थे कौन ????

वो बंदा फौज में कर्नल से आगे नहीं बढ़ सका, क्योकि हमेशा बर्फीले पहाड़ों की चोटिया लाँघते उस बैल के पैरों में एक भी उंगली नहीं बची थी। उसके लगातार मिशन चलते रहे। सारी उंगलियां गलकर गिर गईं। अपंग हुए, मगर उनके मिशन नही रुके।

आज अगर भारत देश #सियाचीन_ग्लेशियर पर बैठा है, अगर भारत ग्लेशियरों की उन ऊँचाइयों का मास्टर है, एक एक रास्ते का जानकार है, और पाकिस्तान को सियाचिन से दूर रखने में कामयाब रहा है, तो उसका श्रेय मात्र एक ही व्यक्ति को जाता है, वो थे कर्नल नरेन्द्र कुमार शर्मा यानि नरेन्द्र “बुल ” कुमार ….

उन सुनसान बर्फीले ग्लेशियरों पर शून्य से 60° कम तापमान में अपने देश की खातिर बुल ने ना जाने कितने अभियानों का नेतृत्व किया। नक्शे बनाये, उस दुर्गम क्षेत्र की एक एक जानकारी हासिल की। उनके नक्शे, फोटोग्राफ, भारत की ग्लेशियर पर विजय का आधार स्तंभ बने। इलाके में विदेशी पर्वतारोही अभियानों और पाकिस्तानी दखल की जानकारी भारत और दुनिया को दी। उन रास्तों का पता लगाया, उनकी स्थिति नक्शे, फोटोग्राफ जहाँ से पाकिस्तानी सियाचीन पर कब्जा करने की ताक में थे । वो सब अपने सैनिको को दी।

यही वजह थी कि सरकार ने आॅपरेशन #मेघदूत जिसके जरिये सियाचीन पर कब्जा किया था । उस आॅपरेशन की जिम्मेदारी नरेन्द्र बुल कुमार की अपनी रेजीमेंट यानि #कुमायूँ_रेजीमेंट को दी थी।

पूरा देश नरेन्द्र “बुल” का ऋणी है। जिन्होंने अपने शरीर के अंगों को बर्फ मे गलाकर, सालों साल दुर्गम ग्लेशियरों में बिताकर, असंख्य चोटियाें पर पर्वतारोही अभियानों में फतह हासिल की। जो सही मायने में Father of siachen glacier कहलाने का हकदार है।

वो शानदार पर्वतारोही, वो ग्लेशियरों का सरताज, कर्नल नरेन्द्र “बुल कुमार 31 दिसम्बर 2020 को चल बसा।

देश का हीरो, एक नायक, गुमनामी में रहकर ही चल बसा।

हम हर देशवासी इस राष्ट्रभक्त कर्मवीर के बारे में सोशल मीडिया में आधिकाधिक प्रचारित करें ताकि। हम और हमारी और अगली पीढ़ी आप के जीवन से प्रेरणा ले सके।

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