Mohan Rakesh (Madan Mohan Guglani)  8 January 1925 – 3 January 1972, one of the pioneers of the Nai Kahani (“New Story”) literary movement of the Hindi literature in the 1950s. He was given an Award by the Sahitya Akademi for the first modern Hindi play that he wrote, Ashadh Ka Ek Din. He made significant contributions to the novel, the short story, travelogue, criticism, memoir and drama.
His plays continue to be performed and receive acclaim worldwide

Mohan Rakesh, author, script writer, novelist

मोहन राकेश – जन्म : 8 जनवरी 1925, अमृतसर (पंजाब)

भाषा : हिंदीविधाएँ : उपन्यास, कहानी, नाटक, निबंध, डायरी, यात्रा वृत्तांत

मोहन राकेश,  नई कहानी आंदोलन के प्रमुख नायकों में रहे। उनकी अनेक कहानियों पर फिल्में भी बनीं। कहानी के अतिरिक्त उन्हें नाटक के क्षेत्र में अपरिमित सफलता मिली। हिंदी प्रदेश का शायद ही कोई ऐसा इलाका हो जहाँ उनके नाटकों का मंचन न हुआ हो। खासकर ‘आषाढ़ का एक दिन’ और ‘आधे अधूरे’ को तो क्लासिक का दर्जा हासिल है।

मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी, 1925 को अमृतसर, पंजाब में हुआ था। उनके पिता पेशे से वकील थे और साथ ही साहित्य और संगीत के प्रेमी भी थे। पिता की साहित्यिक रुचि का प्रभाव मोहन राकेश पर भी पड़ा। मोहन राकेश ने पहले लाहौर के ‘ओरियंटल कॉलेज’ से ‘शास्त्री’ की परीक्षा पास की। किशोरावस्था में सिर से पिता का साया उठने के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और पढ़ाई जारी रखी। इसके बाद उन्होंने ‘पंजाब विश्वविद्यालय’ से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम.ए. किया। एक शिक्षक के रूप में पेशेवर ज़िंदगी की शुरुआत करने के साथ ही उनका रुझान लघु कहानियों की ओर हुआ। बाद में उन्होंने कई नाटक और उपन्यास लिखे। बाद में अनेक वर्षों तक दिल्ली, जालंधर, शिमला और मुम्बई में अध्यापन कार्य करते रहे।

स्वतंत्र लेखन

अपनी साहित्यिक अभिरुचि के कारण मोहन राकेश का अध्यापन कार्य में मन नहीं लगा और एक वर्ष तक उन्होंने ‘सारिका’ पत्रिका का सम्पादन किया। इस कार्य को भी अपने लेखन में बाधा समझकर इससे किनारे कर लिया और जीवन के अन्त तक स्वतंत्र लेखन ही इनके जीविकोपार्जन का साधन रहा। मोहन राकेश हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और उपन्यासकार थे। समाज की संवेदनशील अनुभूतियों को चुनकर उनका सार्थक सम्बन्ध खोज निकालना उनकी कहानियों की विषय-वस्तु थी